Why does vitamin D deficiency occur?
विटामिन डी की कमी (vitamin D deficiency)का सबसे बड़ा कारण हमारी आधुनिक जीवनशैली है। हम अपना ज़्यादातर समय घर के अंदर या ऑफिस में बिताते हैं, जहाँ सूरज की रोशनी हम तक नहीं पहुँच पाती। विटामिन डी को “सनशाइन विटामिन” इसलिए कहते हैं क्योंकि हमारी त्वचा सूरज की अल्ट्रावायलेट बी (UVB) किरणों के संपर्क में आने पर ही इसे बनाती है।
- कम धूप मिलना: यह सबसे अहम कारण है। अगर आप सुबह या शाम को ही बाहर निकलते हैं, तो शरीर को पर्याप्त UVB किरणें नहीं मिल पातीं। दोपहर के समय (सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे के बीच) ही UVB किरणें सबसे ज्यादा प्रभावी होती हैं।
- प्रदूषण और भौगोलिक स्थान: ज़्यादा प्रदूषण वाले शहरों में सूरज की किरणें ज़मीन तक ठीक से नहीं पहुँच पातीं। साथ ही, जो लोग भूमध्य रेखा से दूर रहते हैं, वहाँ साल के कुछ महीनों में धूप कम निकलती है, जिससे विटामिन डी की कमी हो सकती है।
- उम्र और त्वचा का रंग: उम्र बढ़ने के साथ हमारी त्वचा की विटामिन डी बनाने की क्षमता कम हो जाती है। गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों में भी विटामिन डी का उत्पादन कम होता है, क्योंकि उनकी त्वचा में मौजूद मेलेनिन (Melanin) नामक पिगमेंट UVB किरणों को सोख लेता है।
विटामिन डी की कमी के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of vitamin D deficiency?)
विटामिन डी की कमी को पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण अक्सर आम बीमारियों जैसे लगते हैं। इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
- हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द: विटामिन डी हमारे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को सोखने में मदद करता है। इन पोषक तत्वों के बिना हड्डियाँ कमजोर और नरम हो जाती हैं, जिससे जोड़ों और हड्डियों में दर्द हो सकता है।
- अत्यधिक थकान: अगर आपको पर्याप्त नींद के बाद भी लगातार थकान महसूस होती है, तो यह विटामिन डी की कमी का एक लक्षण हो सकता है। यह शरीर की ऊर्जा के स्तर को प्रभावित करता है।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity): विटामिन डी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है। इसकी कमी होने पर आप बार-बार सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं।
- मूड में बदलाव: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन डी की कमी का संबंध डिप्रेशन और मूड स्विंग से हो सकता है। यह हमारे दिमाग में सेरोटोनिन (Serotonin) नामक हार्मोन को प्रभावित करता है, जो हमारे मूड को नियंत्रित करता है।
- घाव का धीरे भरना: अगर आपके कट या घाव जल्दी ठीक नहीं होते, तो यह भी विटामिन डी की कमी का एक संकेत हो सकता है। यह शरीर की सूजन कम करने और घाव भरने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग कौन से हैं?( What are the diseases caused by Vitamin D deficiency?)
विटामिन डी की कमी के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह विटामिन हमारे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसकी कमी से होने वाले कुछ प्रमुख रोग और समस्याएं इस प्रकार हैं:
- बच्चों में रिकेट्स (Rickets): यह बच्चों में होने वाला एक गंभीर रोग है। इसमें विटामिन डी की कमी से हड्डियाँ नरम और कमजोर हो जाती हैं, जिससे उनके पैर टेढ़े हो सकते हैं और शरीर का विकास ठीक से नहीं हो पाता।
- वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया (Osteomalacia): यह रिकेट्स की ही तरह है, लेकिन यह वयस्कों में होता है। इसमें हड्डियों में दर्द, खासकर कूल्हे, जांघों और पैरों में दर्द महसूस होता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): इस बीमारी में हड्डियाँ इतनी कमजोर और भंगुर (fragile) हो जाती हैं कि वे आसानी से टूट सकती हैं। विटामिन डी और कैल्शियम की कमी इसका एक मुख्य कारण है। यह अक्सर बढ़ती उम्र के लोगों में देखा जाता है।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Weakened Immunity): विटामिन डी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसकी कमी से व्यक्ति बार-बार सर्दी, फ्लू और अन्य इन्फेक्शन का शिकार हो सकता है।
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द: विटामिन डी की कमी से मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी महसूस हो सकती है, जिससे रोज़ाना के काम करना मुश्किल हो सकता है।
- डिप्रेशन (Depression): कुछ शोध बताते हैं कि विटामिन डी की कमी का संबंध मूड स्विंग और डिप्रेशन से हो सकता है। यह हमारे दिमाग में सेरोटोनिन हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है।
इन रोगों से बचने के लिए, पर्याप्त मात्रा में धूप लेना और विटामिन डी से भरपूर भोजन का सेवन करना बहुत ज़रूरी है। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा है।
विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करें? (How to overcome Vitamin D deficiency?)
विटामिन डी की कमी को दूर करना काफी आसान है, लेकिन इसके लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।
- सूर्य की रोशनी से: रोज़ाना 10-15 मिनट सुबह की धूप लें। इस समय की धूप सबसे फायदेमंद होती है। धूप में बैठते समय सनस्क्रीन न लगाएं, क्योंकि यह UVB किरणों को रोक देती है।
- सही खान-पान: अपने खाने में विटामिन डी से भरपूर चीज़ें शामिल करें।
- सप्लीमेंट्स: अगर आपकी कमी बहुत ज़्यादा है और धूप या डाइट से पूरी नहीं हो पा रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स लेना सबसे अच्छा तरीका है। डॉक्टर ही सही मात्रा और प्रकार के सप्लीमेंट की सलाह दे सकते हैं।
विटामिन डी की कमी होने पर क्या खाना चाहिए? (What should one eat if one is deficient in Vitamin D?
विटामिन डी से भरपूर शाकाहारी भोजन (Vegetarian foods rich in Vitamin D)
शाकाहारी लोगों के लिए विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोत सीमित हैं, लेकिन कुछ बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं।
- मशरूम (Mushrooms): मशरूम एक ऐसा पौधा है जो धूप के संपर्क में आने पर विटामिन डी बनाता है।
- UVB किरणों में उगाए गए मशरूम: आजकल कुछ खास तरह के मशरूम उगाए जाते हैं, जिन पर यूवीबी लाइट डाली जाती है। इनमें विटामिन डी की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है।
- फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified Foods): ‘फोर्टिफाइड’ का मतलब है कि इनमें अलग से विटामिन डी मिलाया गया है।
- दूध और डेयरी उत्पाद: गाय का दूध, बादाम का दूध, सोया मिल्क, दही और पनीर जैसे कई उत्पादों में विटामिन डी मिलाया जाता है।
- संतरे का जूस (Orange Juice): कुछ कंपनियों का संतरे का जूस भी विटामिन डी से फोर्टिफाइड आता है।
- अनाज (Cereals): कई ब्रेकफास्ट सीरियल भी विटामिन डी से फोर्टिफाइड होते हैं, जो सुबह के नाश्ते के लिए एक अच्छा विकल्प है।
- टोफू और सोया पनीर: कुछ कंपनियां अपने टोफू को भी विटामिन डी से फोर्टिफाइड करती हैं।

विटामिन डी से भरपूर मांसाहारी भोजन (Non-vegetarian foods rich in Vitamin D)
मांसाहारी भोजन में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो विटामिन डी के सबसे अच्छे स्रोतों में से हैं।
- फैटी फिश (Fatty Fish): सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन और टूना जैसी मछलियाँ विटामिन डी का भंडार मानी जाती हैं।
- सैल्मन (Salmon): यह न सिर्फ विटामिन डी बल्कि ओमेगा-3 फैटी एसिड का भी बहुत अच्छा स्रोत है, जो दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद है।
- सार्डिन (Sardines): ये छोटी मछलियाँ विटामिन डी और कैल्शियम दोनों से भरपूर होती हैं।
- मछली का तेल (Cod Liver Oil): यह विटामिन डी और विटामिन ए से भरपूर होता है। अगर आपको मछली खाना पसंद नहीं है, तो कैप्सूल के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।
- अंडे की जर्दी (Egg Yolk): अंडे की पीली जर्दी में थोड़ी मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है।
यह ध्यान रखें कि प्राकृतिक रूप से शाकाहारी भोजन में विटामिन डी बहुत कम मात्रा में होता है। इसलिए, शाकाहारी लोगों के लिए धूप में रहना और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत ज़रूरी है। अगर आपको लगता है कि आपकी कमी इन तरीकों से पूरी नहीं हो रही, तो डॉक्टर से सलाह लेकर विटामिन डी के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा खाएं?( Which Ayurvedic medicine should be taken to overcome Vitamin D deficiency?)
आयुर्वेद में विटामिन डी की कमी को सीधे तौर पर ठीक करने के लिए कोई विशेष ‘दवा’ नहीं है, जैसा कि एलोपैथी में सप्लीमेंट्स होते हैं। आयुर्वेद का मुख्य ध्यान शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखने पर होता है ताकि वह प्राकृतिक रूप से काम कर सके। आयुर्वेद के अनुसार, विटामिन डी की कमी मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश की कमी (सूर्य-किरण) और असंतुलित आहार के कारण होती है।
आयुर्वेद में विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए कुछ जड़ी-बूटियाँ और उपचार बताए गए हैं जो कैल्शियम के अवशोषण (absorption) को बढ़ाते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
- अश्वगंधा: यह एक बहुत ही लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो शरीर को मजबूत बनाने में मदद करती है और तनाव को कम करती है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी सहायक हो सकती है।
- शतावरी: यह जड़ी बूटी शरीर को पोषण देती है और हड्डियों की मजबूती में सहायक होती है।
- हड्डियों के लिए कैल्शियम युक्त जड़ी-बूटियाँ:
- गुग्गुल: यह हड्डियों और जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक है।
- लक्षादि गुग्गुल: यह खासकर हड्डियों के फ्रैक्चर और कमजोरी में इस्तेमाल किया जाता है।
- प्रवाल पिष्टी: यह प्रवाल (कोरल) से बनती है और कैल्शियम का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है।
- हल्दी (Turmeric): इसमें मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) शरीर की सूजन को कम करता है और हड्डियों के दर्द में आराम देता है।
विटामिन डी की कमी होने पर कौन-कौन से योग करें? (Which yoga should be done in case of Vitamin D deficiency?)
योग सीधे तौर पर शरीर में विटामिन डी का उत्पादन नहीं करता है, क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होता है। हालांकि, योग और कुछ ख़ास आसन करने से आपके शरीर को मजबूत और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है, जिससे विटामिन डी की कमी के लक्षणों से लड़ने में सहायता मिलती है।
जब आप बाहर खुली हवा या पार्क में योग करते हैं, तो आपको सूर्य का प्रकाश मिलता है। इससे आपके शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन डी बनाने में मदद मिलती है।
यहाँ कुछ ऐसे योग और व्यायाम दिए गए हैं जो आपके स्वास्थ्य और विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं:
- सूर्य नमस्कार (Sun Salutation): यह एक बेहतरीन योग है, क्योंकि यह आपके शरीर को सक्रिय करता है और आपको सुबह की धूप लेने का मौका भी मिलता है। इसमें 12 अलग-अलग आसन होते हैं, जो शरीर के सभी अंगों को लाभ पहुंचाते हैं।
- भद्रासन (Badrasana): इस आसन को “तितली आसन” भी कहते हैं। यह आपके हिप्स और जांघों को लचीला बनाता है।
- ताड़ासन (Tadasana): यह आसन आपकी हड्डियों को मजबूत करता है और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- नौकासन (Naukasana): यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर की कोर शक्ति को बढ़ाता है।
- वृक्षासन (Vrikshasana): इसे “वृक्ष आसन” भी कहते हैं। यह आपके संतुलन को सुधारता है और पैरों को मजबूत बनाता है।
इन योगासनों को खुली जगह पर और सुबह के समय करना सबसे अच्छा है। नियमित व्यायाम और सही खान-पान के साथ योग करने से आप अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत रख सकते हैं।
विटामिन डी को प्राकृतिक रूप से कैसे ठीक करें? (How to fix Vitamin D deficiency naturally?)
प्राकृतिक रूप से विटामिन डी की कमी को पूरा करने का सबसे अच्छा और सीधा तरीका है धूप में समय बिताना। सुबह 10 से 15 मिनट धूप में रहने की आदत डालें। इसके अलावा, प्राकृतिक खाद्य पदार्थ जैसे मशरूम और अगर आप मांसाहारी हैं तो फैटी फिश को अपनी डाइट में शामिल करें।
विटामिन डी का स्तर जल्दी कैसे बढ़ाएं?( How to increase Vitamin D levels quickly?)
विटामिन डी का स्तर जल्दी बढ़ाने के लिए आपको एक साथ कई तरीकों को अपनाना होगा।
- नियमित रूप से धूप लें: सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच 15-20 मिनट धूप में रहें।
- डाइट पर ध्यान दें: अपने खाने में विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे फैटी फिश और मशरूम शामिल करें।
- डॉक्टर से परामर्श करें: अगर आपकी कमी बहुत ज़्यादा है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लें। यह सबसे तेज़ी से काम करता है।
नोट (note)
अगर आप विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए सप्लीमेंट्स (Vitamin D Supplements) or medicine लेना चाहते हैं तो इसे केवल डॉक्टर की सलाह से ही लें। बिना सलाह के सप्लीमेंट का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।